न्याय के मंदिर में भ्रष्टाचार का घिनौना खेल": "लेखपाल की रिश्वतखोरी का काला चेहरा बेनकाब,
(सईद पठान की रिपोर्ट)
संतकबीरनगर। खलीलाबाद तहसील क्षेत्र में शुक्रवार को उस समय हड़कंप मच गया जब एंटी करप्शन टीम ने तहसील के लेखपाल रामअवध को 5,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी की यह कार्रवाई न केवल भ्रष्टाचार पर सीधी चोट है, बल्कि आम जनता के भीतर वर्षों से पल रहे उस आक्रोश और बेबसी को भी सामने लाती है, जिसमें उन्हें अपने ही हक़ और अधिकार पाने के लिए रिश्वत देने पर मजबूर होना पड़ता है।
मामला मगहर निवासी बेलाल अहमद से जुड़ा है। उन्होंने अपनी भूमि की पैमाइश करवाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन आरोप है कि लेखपाल ने इस कार्य को करने के एवज में 5,000 रुपये की रिश्वत की मांग की। पीड़ित ने इसकी शिकायत एंटी करप्शन विभाग से की। शिकायत की सत्यता की जांच के बाद टीम ने जाल बिछाया और तय स्थान पर लेखपाल को पैसे लेते हुए रंगे हाथ दबोच लिया।
गिरफ्तारी की इस घटना से तहसील कार्यालय में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। जिस विभाग को न्याय और सेवा का प्रतीक माना जाता है, वही यदि भ्रष्टाचार का गढ़ बन जाए तो आम जनता का भरोसा टूटना लाजमी है। ग्रामीण इलाकों में गरीब किसान, मजदूर और सामान्य नागरिक पहले ही अपनी रोज़मर्रा की परेशानियों से जूझते रहते हैं, ऐसे में न्याय और सुविधा देने वाले ही यदि उन्हें शोषण का शिकार बनाएं तो यह व्यवस्था पर गहरा सवाल खड़ा करता है।
पुलिस अधीक्षक संदीप कुमार मीणा ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि एंटी करप्शन टीम ने लेखपाल को रंगे हाथ पकड़कर आवश्यक विधिक कार्रवाई शुरू कर दी है। वहीं विभाग के भीतर यह गिरफ्तारी चर्चा का विषय बनी हुई है और अधिकारी भी अब सतर्क हो गए हैं।
यह घटना एक बार फिर यह सोचने को मजबूर करती है कि क्या सरकारी तंत्र में मौजूद भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि साधारण नागरिक को अपनी जमीन, अपनी संपत्ति और अपने अधिकार तक पाने के लिए भी घूस देनी पड़े? क्या व्यवस्था में ईमानदार और पारदर्शी तंत्र की स्थापना मात्र नारों तक ही सीमित है?
लोगों की अपेक्षा है कि यह कार्रवाई केवल एक घटना तक सीमित न रहे, बल्कि भ्रष्टाचार की जड़ को उखाड़ फेंकने की दिशा में कठोर कदम उठाए जाएं। तभी शासन-प्रशासन पर जनता का विश्वास वास्तव में कायम रह सकेगा।
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