हैंसर बाजार में दिव्यांग बच्चों के सपनों को मिला सहारा, चिन्हांकन शिविर में 9 बच्चों को मिला प्रमाण पत्र": अस्थि विशेषज्ञ के न आने से 25 बच्चे वंचित,


(सईद पठान की रिपोर्ट)

संतकबीरनगर। समाज का असली विकास तभी संभव है जब कमजोर और वंचित वर्गों को भी बराबरी का अवसर मिले। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए समग्र शिक्षा समेकित शिक्षा अभियान के तहत जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के निर्देशन और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के सहयोग से ब्लॉक संसाधन केंद्र, हैंसर बाजार पर मंगलवार को दिव्यांग बच्चों के लिए चिन्हांकन शिविर आयोजित किया गया। इस शिविर का उद्देश्य बच्चों को दिव्यांगता प्रमाण पत्र उपलब्ध कराना और उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ना था।

कार्यक्रम में आई सर्जन डा. राम गोपाल, बाल रोग विशेषज्ञ डा. मधुसूदन शर्मा, खंड शिक्षा अधिकारी डा. रजनीश बैद्यनाथ, स्पेशल एजुकेटर महेन्द्र प्रसाद, दुर्गेश यादव, मोना गौतम, दिलीप यादव, शम्भू प्रसाद समेत रमसा के स्पेशल एजुकेटर शामिल रहे। चिकित्सा और शिक्षा विभाग का यह संयुक्त प्रयास बच्चों और अभिभावकों के लिए नई उम्मीद लेकर आया।

इस अवसर पर खंड शिक्षा अधिकारी महेन्द्र प्रसाद ने कहा कि अधिक से अधिक दिव्यांग बालिकाओं को विद्यालयों में नामांकित कराना अभिभावकों की जिम्मेदारी है। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे बच्चों के प्रमाण पत्र बनवाने में सहयोग करें ताकि शासन की मंशा के अनुरूप प्रत्येक दिव्यांग बालिका को ₹2000 वार्षिक छात्रवृत्ति मिल सके। उन्होंने आश्वस्त किया कि जिन बालिकाओं के पास 40% या उससे अधिक दिव्यांगता प्रमाण पत्र होगा, उन्हें छात्रवृत्ति का लाभ दिलाने के लिए विभाग पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

जिला समन्वयक (समेकित शिक्षा) डा. रजनीश बैद्यनाथ ने जानकारी दी कि अगला शिविर मंगलवार को ब्लॉक संसाधन केंद्र पौली में आयोजित किया जाएगा। उन्होंने दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों से आग्रह किया कि वे समय पर पंजीकरण कराएं और आवश्यक दस्तावेजों के साथ उपस्थित हों, ताकि उनका परीक्षण और प्रमाण पत्र निर्गत करने की प्रक्रिया पूरी हो सके।

इस शिविर में कुल 45 दिव्यांग बच्चों ने प्रतिभाग किया, जिनमें से 9 बच्चों के प्रमाण पत्र तत्काल जारी कर दिए गए। हालांकि, अस्थि विशेषज्ञ डा. अमित कुमार सिंह की अनुपस्थिति के कारण 25 अस्थि दिव्यांग बच्चों का परीक्षण नहीं हो सका। इस पर अभिभावकों ने गहरा रोष व्यक्त किया और मांग की कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो ताकि कोई बच्चा हक से वंचित न रह जाए।

इस कार्यक्रम में ब्लॉक एमआईएस रोहित कुमार, फिजियोथेरेपिस्ट डा. सुशील कुमार और आधार ऑपरेटर देवनारायण ने भी सक्रिय सहयोग दिया।

यह शिविर केवल प्रमाण पत्र वितरण का आयोजन नहीं था, बल्कि यह उन बच्चों के जीवन में शिक्षा, सम्मान और आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था। ऐसे प्रयास न सिर्फ दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा में लाते हैं, बल्कि यह संदेश भी देते हैं कि हर बच्चा अनमोल है और उसे बराबरी का हक मिलना चाहिए।

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