टीबी मरीजों का सेम्पल लैब तक पहुंचाएंगें डाकिये,राज्य क्षय रोग और डाक विभाग में करार



  • पहली मई से सभी जिलों में डाकिये पहुंचाएंगे टीबी मरीजों के सैम्पल

  • राज्य क्षय रोग और डाक विभाग में करार, 48 घण्‍टे में पहुंचेगा सैम्‍पल

  • नई व्यवस्था से टीबी रोगियों की पहचान और इलाज में आएगी तेजी


संतकबीरनगर ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सन 2025 तक देश से क्षय रोग यानि टीबी के खात्मे के संकल्प को तय समय सीमा से पहले पूरा करने को लेकर कई नई योजनायें और कार्यक्रम शुरू किये जा रहे हैं । इसी क्रम में वृहस्पतिवार को स्वास्थ्य भवन में राज्य क्षय रोग विभाग और भारतीय डाक विभाग में विधिवत एक करार हुआ, जिसके तहत पहली मई से प्रदेश के सभी 75 जिलों में टीबी मरीजों का सैम्पल लैब तक पहुँचाने का काम अब डाकिये करेंगे । इससे पहले यह सैम्पल कोरियर से भेजे जाते थे, जिससे रोगियों की पहचान और इलाज शूरू होने में विलम्ब होता था । इस करार के साथ ही उत्तर प्रदेश इस नई व्यवस्था को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है ।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एस डी ओझा ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रुकुम केस की उपस्थिति में इस करार पर राज्य क्षय रोग कार्यक्रम अधिकारी डॉ. संतोष गुप्ता और डाक विभाग के सहायक निदेशक (पीडी) ओम प्रकाश ने हस्ताक्षर किये । इस करार के मुताबिक प्रदेश के करीब 2300 अधिकृत टीबी जाँच केन्द्रों (डीएसटी) से 24 घंटे के अन्दर 142 सीबीनाट मशीन सेंटर तक सैम्पल पहुंचाने का काम डाक विभाग करेगा । इसके साथ ही 142 सीबीनाट मशीन सेंटर से प्रदेश के आठ जिलों  (लखनऊ, आगरा, अलीगढ़, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर और इटावा ) में स्थित ड्रग कल्चर सेंसटिविटी टेस्ट सेंटर तक 48 घंटे के अन्दर सैम्पल पहुंचाने का काम करेगा । ज्ञात हो कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ, आगरा, बदायूं और चंदौली जिले में पहले चरण में यह कार्यक्रम चलाया गया था । उस दौरान मिली सफलता के आधार पर अब पहली मई से यह व्यवस्था पूरे प्रदेश में मूर्त रूप लेने जा रही है ।
इस अवसर पर डॉ. गुप्ता ने कहा कि टीबी मरीजों के मामले में सबसे बड़ी चुनौती जल्द से जल्द जाँच कराने की होती है क्योंकि एक टीबी मरीज अनजाने में न जाने कितने लोगों को संक्रमित कर सकता है । इस करार के बाद सैम्पल की जाँच में तेजी आएगी और जाँच रिपोर्ट आते ही जल्द से जल्द उनका इलाज शुरू कर दिया जाएगा । इससे संक्रमण का खतरा कम रहेगा । ज्ञात हो कि इस कार्यक्रम की रूपरेखा विश्व क्षय रोग दिवस यानि 24 मार्च को ही तय हो गयी थी, जिसे आज विधिवत मूर्त रूप दे दिया गया ।


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